Monday, April 28, 2025
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अभिलेखों से छेड़छाड़ कर तालाब करा लिया अपने नाम, चकबंदी आयुक्त ने दिया जांच के आदेश

  • जांच के लिए पहुंचे उप संचालक चकबंदी एवं बदोबस्त अधिकारी ने दर्ज किए लोगों के बयान

बाराबंकी। चकबंदी के अभिलेखों में छेड़छाड़ कर तालाब की भूमि को अपने नाम फर्जी तरीके से दर्ज कराने और कब्जा करने के मामले में चकबंदी आयुक्त ने जांच के निर्देश दिए हैं। आयुक्त टीम गठित कर जांच शुरु कर दी है। लंबित मामले की सुनवाई कर रहे चकबंदी आयुक्त ने इसे धोखाधड़ी का प्रकरण बताया। सोमवार की शाम लखनऊ से पहुंची समित के सदस्यों ने मौके पर जांच पड़ताल कर साक्ष्य एकत्रित किए हैं।
फतेहपुर कस्बा के मोहल्ला नालापार दक्षिणी- पांच के काजीबाग में प्राचीन तालाब था। छह फरवरी 2024 को इसके आसपास रहने वाले मो. जलील अली हसन, साहिल, जाबिर समेत कई लोगों ने चैयरमैन इरशाद अहमद कमर को प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें बताया गया कि राम गोपाल व फुजैल अहमद निवासी ब्रह्मणी टोला तथा वारिस अली निवासी मस्तान रोड आदि तालाब व कब्रिस्तान की भूमि का स्वरूप बदल कर कब्जा के प्रयास को रोकने की मांग की है। चेयरमैन ने 26 फरवरी 2024 को तत्कालीन एसडीएम को पत्र भेज कर पैमाइश व अतिक्रमण रोकने का अनुरोध किया था। वहीं दूसरी ओर इस प्रकरण में हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुधीर कुमार ने जिला चकबंदी अधिकारी के यहां वाद दायर किया था। अधिवक्ता के अनुरोध पर के प्रदेश चकबंदी आयुक्त के यह मामाला न्यायालय पर सुना। जिसमें 25 मार्च 2025 को चकबंदी आयुक्त भानु चन्द्र गोस्वामी ने सुनवाई कर आदेश पारित किया था। जिसमें बताया गया कि इस मामले में पुराना गाटा संख्या 1060 व 1061 खतौनी सन 1369 फसली में तालाब दर्ज है। कूटरचना के आधार पर तालाब की भूमि पर बिना अधिकार अवैध ढंग से अपने नाम दर्ज करा लिया गया। प्रश्नगत प्रकरण राज्य सरकार की भूमि को क्षति पहुंचाने से संबंधित है। मामले की गहन जांच के लिए आयुक्त ने लखनऊ मुख्यालय के उप संचालक चकबंदी व बंदोबस्त अधिकारी की टीम गठित कर हफ्ते भर में जांच आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे।
सोमवार शाम उप संचालक चकबंदी आलोक कुमार व बंदोबस्त अधिकारी परवेज अख्तर अंसारी मौके पर जांच करने पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने नई गाटा संख्या के अलावा पुरानी गाटा संख्या 1060 व 1061 का निरीक्षण कर स्थल मेमो तैयार किया। साक्ष्य एकत्र किए। आसपास के नागरिकों तथा सम्बंधित पक्ष से जुड़े लोगों से बातचीत कर उनके बयान दर्ज किए गये।

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