गबन में दोषी पाए जाने के बाद भी ग्राम प्रधान पर नहीं दर्ज कराया गया मुकदमा
बाराबंकी। देवा के सहायक लेखाकार ने जबरीकला गांव में हुए विकास कार्य के दौरान एक लाख 67 रूपए के गबन के मामले में सचिव एवं तकनीकी सहायक के खिलाफ देवा थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। गबन में नाम आने के बाद भी ग्राम प्रधान पर मुकदमा न दर्ज होना चर्चा का विषय बना हुआ है। डीएम ने तीनों से रिकवरी के आदेश जारी किए थे।
देवा के ग्राम पंचायत जबरीकला में विकास कार्यों के नाम पर गबन करने की शिकायत हुई। मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुधन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित हुई। जांच में पाया गया कि पौधारोपण कार्य, लीलापुरवा से नई बस्ती तक नाला खोदाई, जरुवा नहर से रेठ नदी तक खारजा खोदाई में अनियमितता पाई गई। इस संबंध में जांच अधिकारी ने सचिव सत्यनाम मौर्य, तकनीकी सहायक राम प्रताप को कारण बताओ नोटिस जारी की गई। तकनीकी सहायक ने नोटिस का जवाब नहीं दिया, बल्कि सचिव ने जवाब प्रस्तुत किया। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें लीलापुरवा से नईमऊ तक नाला खोदाई हुई ही नहीं, जबकि आठ मस्टर रोल जारी कर 1.67 लाख रुपये निकाल लिए गए। सरकारी धन की रिकवरी के लिए सचिव, तकनीकी सहायक और ग्राम प्रधान मंजू देवी को नोटिस दी गई थी। डीएम ने 01 अप्रैल को रिकवरी के लिए आदेश जारी कर दिया है। इस मामले में विकास खण्ड देवा की बीडीओ ने 17 अप्रैल को तीनों पंचायत सचिव सत्यनाम मौर्य और तकनीकी सहायक मनरेगा राम प्रताप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था। इसी क्रम में बीडीओ कार्यालय देवा के सहायक लेखाकार सहजराम ने देवा थाने में तहरीर देकर पंचायत सचिव एवं तकनीकी सहायक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। तहरीर में दोनों पर लगभग दो लाख बीस हजार के गबन का जिक्र किया गया है।
ग्राम प्रधान पर नहीं हो सका मुकदमाः ग्राम पंचायत जबरीकलां में मनरेगा के अंतर्गत हुए विकास कार्यों के धन गबन की शिकायत डीएम से हुई थी। जिसकी जांच डीएम ने सीडीओ से कराई थी। सीडीओ की जांच में गबन की पुष्टि भी हुई थी। इस मामले में पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक के साथ ग्राम प्रधान को भी गबन लिप्त पाया गया था। तीनों के खिलाफ डीएम ने रिकवरी के आदेश दिया था। आश्चर्य की बात यह है कि बीडीओ कार्यालय से पुलिस को दी गई तहरीर में ग्राम प्रधान का नाम नहीं शामिल किया गया है।