Tuesday, April 29, 2025
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सुमित ओझा हत्याकांड प्रकरण: जांच के लिए फारेंसिक लैब भेजे गए बरामद असलहे

  •  रिपोर्ट से पता चलेगा कि किसने चलाई थी गोली

  •  हत्या से पूर्व सुमित से फोन पर बात करने वालों को पूछताछ के लिए बुला रही पुलिस

बाराबंकी। लखनऊ हाईवे पर केवाड़ी मोड़ पर दिनदहाड़े सुमित ओझा हत्याकांड मामले में मंगलवार को आरोपितों के बरामद असलहों को जांच के लिए फारेंसिक लैब भेज दिया गया है। मामले की विवेचना कर रहे देवा कोतवाली अजय कुमार त्रिपाठी ने नगर कोतवाली पहुंच कर असलहों को फारेंसिक लैब भेजने की औपचारिकता पूरी की। कोतवाली नगर में मृतक के परिजन भी मौजूद रहे। बताया जाता है कि हत्या से पूर्व जिन लोगों की बात सुमित से हुई थी उन्हें भी पूंछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।

30 मार्च को हुई थी गोली मारकर हत्या

लखनऊ स्थित थाना नाका के फतेहगंज निवासी इंजीनियर सुमित ओझा की 30 मार्च की शाम लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर केवाड़ी मोड़ के पास सरेराह गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक के परिजनों ने एक युवती एवं उसके साथ कंपनी में काम करने वाले लोगों पर हत्या करने की आशंका जताई थी।

राजफाश के बाद पुलिस पर उठे थे सवाल

इस मामले में पुलिस ने दो अप्रैल को दो लोगों को गिरफ्तार कर घटना के राजफाश का दावा किया था। जिसमें कोतवाली नगर के सफेदाबाद गढ़ी निवासी सत्येंद्र गोस्वामी व गोंडा के मूल निवासी उसके ममेरे भाई अनूप को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। प्रेस वार्ता में हत्या के पीछे आरोपितों की थार कार में मृतक की बाइक से रगड़ आना बताया गया था। हालांकि उसके बाद पुलिस पर सवाल उठे थे कि सही आरोपित और उसके लाइसेंसी तमंचे को बचा लिया गया है।

डीजीपी से हुई थी शिकायत

मृतक के रिश्तेदार लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में प्रोफेसर नीरज जैन उनकी पत्नी कल्पना बाजपेई आदि ने पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार से मिलकर मामले में बाराबंकी पुलिस की लीपापोती की शिकायत की थी।

नौ अप्रैल को हुई थी थार कार के मालिक की गिरफ्तारी

डीजीपी से शिकायत के बाद बैकफुट पर आई कोतवाली पुलिस ने नौ अप्रैल को सत्येंद्र के सगे बड़े भाई थार मालिक जोगेंद्र गोस्वामी को गिरफ्तार कर उसका लाइसेंसी असलहा बरामद जेल भेजा था। जिसके बाद वहीं तत्कालीन कोतवाल अमित प्रताप सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया। एसएसआई छट्ठू चौधरी व एसआइ पप्पू यादव के स्थानांतरण करने के साथ भ्रामक सूचना देने के आरोप में दो सिपाही राजीव तिवारी व राजकुमार लाइंन हाजिर भी हुए थे। हालांकि पूर्व से चल रही चर्चा के बावजूद जब मामले में शिकायत हुई तो पुलिस ने जोगेंद्र को जेल भेजा। इस घटनाक्रम से पुलिस की किरकिरी भी हुई।

देवा कोतवाल को मिली थी विवेचना की जिम्मेदारी

जोगेंद्र की गिरफ्तारी के बाद एसपी ने नौ अप्रैल की देर शाम नगर कोतवाल अमित प्रताप सिंह को लाइन हाजिर कर दिया था। जिसके बाद मामले की विवेचना देवा कोतवाल अजय कुमार त्रिपाठी को सौंप गई थी। नए विवेचक ने जेल में बंद आरोपितों से पूछताछ की और मंगलवार को कोतवाली नगर से आरोपितों के दोनों तमंचा फारेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा है। इस दौरान कोतवाली नगर में मौजूद नीरज जैन व कल्पना बाजपेई ने बताया कि सही आरोपित को जेल भेजा गया है, लेकिन हत्या का सही कारण अभी पता नहीं चल सका है और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की बात कह रहे हैं।

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