Sunday, June 1, 2025
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गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का हुआ भव्य शुभारंभ

  • समाजसेवी पुरुषोत्तम तिवारी के नेतृत्व में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

  • सरयू तट पर कलश यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जयघोस से गूंजा वातावरण

बाराबंकी। सरयू नदी के पावन तट पर स्थित 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के ऐतिहासिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिवसीय महोत्सव का भव्य शुभारंभ सोमवार को हुआ। सैकड़ों की संख्या में शामिल होकर भक्तों ने कलश यात्रा निकाली।

कलश यात्रा में उमड़े श्रद्धालु: मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर सरयू तट तक पहुंची कलश यात्रा के दौरान भक्तों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पवित्र जल संग्रह किया। यह जल क्षेत्र के पांच प्रमुख मंदिरों में कलश भ्रमण के साथ स्थापित किया गया। यात्रा मार्ग पर ढोल-नगाड़ों, भक्ति गीतों और ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। कलश स्थापना के पश्चात पंचांग पूजन, बेदी पूजन, जलाधिवास एवं अन्नाधिवास जैसे प्रमुख वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इन धार्मिक विधियों का संचालन अयोध्या, वृंदावन और वाराणसी से पधारे सुप्रसिद्ध आचार्यों ने किया। मुख्य आचार्य डॉ. महीधर शुक्ल महाराज (अयोध्या) के नेतृत्व में आचार्य बालेंद्र धर शुक्ल, लक्ष्मी धर शुक्ल (वृंदावन), आचार्य सीताराम प्रिय, बसंत ओझा (वाराणसी), कौशलेश रामानुज एवं अभय कृष्ण शास्त्री महाराज (अयोध्या) ने विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई। प्रसिद्ध यज्ञाचार्य डॉ. महीधर शुक्ल महाराज ने प्रवचन में कहा, गुप्तेश्वर महादेव केवल एक देवस्थान नहीं, यह हमारी सनातन संस्कृति की जीवंत चेतना है। शिव की उपासना जहां आत्मिक शांति प्रदान करती है, वहीं सामाजिक समरसता का भी आधार है। जब-जब अधर्म बढ़ा है, तब-तब भगवान शंकर ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है। उन्होंने युवाओं को धर्म से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि, ”हमें मंदिरों को केवल पूजा स्थली नहीं, बल्कि संस्कार केंद्र बनाना होगा, जहाँ से समाज को दिशा मिले।”

पुरुषोत्तम तिवारी के प्रयासों से हुआ मंदिर का कायाकल्प: गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि उस सामूहिक प्रयास और जनभागीदारी का प्रतीक है, जिसके केंद्र में हैं समाजसेवी पुरुषोत्तम तिवारी। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार का संकल्प लेकर इसे नवजीवन प्रदान किया। वर्षों से उपेक्षित अवस्था में पड़े इस ऐतिहासिक मंदिर को फिर से गौरव दिलाने के लिए तिवारी जी ने समाज के सहयोग से मंदिर का संपूर्ण नवीनीकरण कराया। नवीन शिखर, गर्भगृह की मरम्मत, परिसर का सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं और धार्मिक गतिविधियों की पुनर्स्थापना इन सभी पहलुओं में पुरुषोत्तम तिवारी की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही। कालिका प्रसाद तिवारी, अनिल तिवारी, पंकज मिश्रा, राकेश शुक्ला, विकास तिवारी, रिंकू पांडेय, विवेक मिश्रा, लवकुश शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।

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